चंद्रपुर शहर विधानसभा: किस्मत पेटियों में, किसकी होगी जीत?
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दि. 21 नवंबर 2024
पढ़ें पुरा विश्लेषण: –– चंद्रपुर जिले की राजनीति में एक बार फिर विधानसभा चुनावों ने जनता और राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। 2024 के चुनावी समर में चंद्रपुर शहर विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबला दिलचस्प और अप्रत्याशित रहा। प्रत्याशियों ने अपने-अपने ढंग से जनता का विश्वास जीतने की पूरी कोशिश की, और अब उनकी किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। 23 नवंबर को जब गिनती होगी, तब तय होगा कि कौन बाजी मारेगा।
चंद्रपुर शहर विधानसभा: जोरगेवार, पडवेकर और पझारे की सीधी टक्कर
चंद्रपुर शहर विधानसभा का चुनाव इस बार बेहद रोमांचक रहा। पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़कर चर्चित हुए किशोर जोरगेवार ने इस बार भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। उनकी इस “घर वापसी” ने राजनीतिक समीकरणों को नया रूप दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर का समर्थन पाकर जोरगेवार ने चुनाव प्रचार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
जोरगेवार ने विकास के मुद्दे और बीजेपी की नीतियों को आगे रखते हुए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। हालांकि, 200 यूनिट फ्री बिजली के वादे पर विपक्ष ने उन्हें घेरने का प्रयास किया। सरकार की “लाडली बहन योजना” ने जोरगेवार को कुछ राहत दी, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि यह वादा कितना प्रभावी साबित हुआ।
दूसरी ओर, ब्रिजभूषण पझारे ने जोरगेवार पर तीखे हमले किए। पझारे ने दावा किया कि बीजेपी ने उनके साथ अन्याय किया और जोरगेवार ने उनका राजनीतिक हक छीना। ग्रामीण क्षेत्रों में पझारे ने सहानुभूति की लहर पर सवार होकर मजबूती दिखाई। हालांकि, शहरी क्षेत्रों, विशेष रूप से उत्तर भारतीय और तेलुगू भाषी समुदायों में उनका प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा।
सर्वेक्षणों के अनुसार: जोरगेवार शहरी मतदाताओं का बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में करने में सफल रहे हैं। वहीं, पझारे ग्रामीण मतदाताओं में मजबूत स्थिति बनाए हुए हैं। इस बार का मुकाबला शहरी और ग्रामीण समीकरणों पर टिका हुआ है।
कांग्रेस की स्थिति कमजोर
चंद्रपुर विधानसभा में कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीन पडवेकर संघर्ष करने में नाकाम रहे। पार्टी के कट्टर समर्थक भ्रमित नजर आए, और कांग्रेस के प्रचार में उत्साह की कमी स्पष्ट रूप से देखी गई। कई बुथों पर कांग्रेस के कार्यकर्ता निष्क्रिय दिखे, जिससे पार्टी के प्रति जनता का भरोसा कमजोर हुआ। यह स्थिति जोरगेवार और पझारे दोनों के लिए फायदेमंद साबित हुई।
चंद्रपुर शहर विधानसभा: क्षेत्रीय मुद्दे और स्थानीय समीकरण
चंद्रपुर शहर विधानसभा में भी मुकाबला बेहद कड़ा रहा। यहां बीजेपी के उम्मीदवार ने सरकार की योजनाओं का प्रचार कर मतदाताओं का ध्यान खींचा। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल स्थानीय मुद्दों को उठाने में व्यस्त रहे।
ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और किसानों की समस्याएं प्रमुख मुद्दे बनीं। कांग्रेस उम्मीदवार ने इन समस्याओं को भुनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन पार्टी के आंतरिक मतभेद और कमजोर संगठनात्मक स्थिति ने उनकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।
सर्वेक्षण के परिणाम: बताते हैं कि चंद्रपुर शहर विधानसभा में बीजेपी को हल्की बढ़त मिल सकती है, लेकिन यहां भी ग्रामीण क्षेत्रों में विपक्षी दलों ने कड़ी टक्कर दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
चुनाव परिणामों को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चंद्रपुर शहर में जोरगेवार की स्थिति मजबूत है। हालांकि, पझारे के प्रति सहानुभूति लहर उन्हें चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल सकती है।
चंद्रपुर शहर विधानसभा में बीजेपी की स्थिति बेहतर है, लेकिन विपक्ष ने मजबूत प्रचार अभियान चलाकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
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23 नवंबर: नतीजों का दिन
23 नवंबर को ईवीएम की पेटियां खुलेंगी, और यह तय होगा कि जनता ने किसे चुना है। इस बार का चुनाव केवल जीत-हार का सवाल नहीं है, बल्कि यह चंद्रपुर और जिले के भविष्य की दिशा तय करेगा। जनता ने अपने मत से यह संदेश दे दिया है कि वह विकास और योजनाओं के साथ-साथ नेतृत्व की ईमानदारी और समर्पण को भी महत्व देती है।
अब यह देखना बाकी है कि किसकी मेहनत रंग लाती है और कौन इतिहास रचता है।