१५ अगस्त पर डाॅ दिलीप काबऴे द्वारा चंद्रपुर शहर में पुस्तक वितरण

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 १५ अगस्त पर डाॅ दिलीप काबऴे द्वारा चंद्रपुर शहर में पुस्तक वितरण 

 चंद्रपुर शहर में डॉ दिलीप कांबळे ने १५ अगस्त को डॉक्टर अंबेडकर पुतले को हार अर्पण कर वहीं पास में स्कूल स्टूडेंट को पुस्तक वितरण किया

चंद्रपुर/महाराष्ट्र 
 
दि . १५ अगस्त २०२४

रिपोर्टर :- रमाकांत यादव जिल्हा प्रतिनिधि ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
 
 

पूरी खबर:-चंद्रपुर शहर के गांधीचौक स्थिति डॉ आंबेडकर पुतले के पास १५ अगस्त को डॉ दिलीप कांबळे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिवर्ष १५ अगस्त के दिन को भारतवासी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं।भारत को 15 अगस्त, 1947 के दिन वह सुनहरी आज़ादी प्राप्त हुई थी जिसका लोगों को वर्षों से इंतज़ार था। इस दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। लोग गुलामी की जंजीरें तोड़कर बहुत प्रसन्न हुए थे। तब से भारत बहुत उन्नति कर चुका है। भारत के लोग आज भी अपना स्वतंत्रता दिवस बहुत उत्साह से मनाते हैं। प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराकर राष्ट्र को संबोधित करते हैं। वे राष्ट्र को एकजुट रहने तथा अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने की प्रेरणा देते हैं। देश के विभिन्न भागों में इस दिन चहल-पहल होती है। लोग तिरंगा झंडा फहराकर एक-दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हैं। यह दिवस हमें अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों तथा शहीदों का स्मरण करा जाता है। भारतवासी उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प प्रकट करते हैं। स्वतंत्रता दिवस भारत के लोगों को आपसी मतभेद भुलाकर देश के नवनिर्माण की प्रेरणा देता है।


डॉ दिलीप कांबळे ने कहा कि परोपकार के माध्यम से हम सभी समाज को मज़बूत बना सकते है| जब सभी समाज के लोगों में परोपकार की भावना होगी तो सभी मनुष्य आपस में मिलजुल कर रहेंगे। आपस में एकता की भावना होगी| आपसी सहयोग से मनुष्य तरक्की करेगा और सभी समाज भी उन्नति करेगा| मनुष्य को हमेशा परोपकारी बनना चाहिए ।सभी के प्रति प्यार की भावना रखनी चाहिए| जो मनुष्य पूरे संसार में भाईचारा का संचार करता है । जैसे गर्मी के मौसम में राहगीरों को मुफ्त्त में ठंडा पानी पिलाना या भूखे लोगों को खाना खिलाना या किसी गरीब की बेटी के विवाह में अपना योगदान देना भी हो सकता है। इस प्रकार से हम यह कह सकते हैं की किसी की मदद करना और उस मदद के एवज़ में किसी चीज की मांग न करने को परोपकार कहते हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं । जो दूसरों की मदद करते हैं और कहीं न कहीं भारत में ये बहुत ज्यादा है। जो इस देश को दुनिया से अलग रखता है।

इस कार्यक्रम में डॉक्टर दिलीप काबळे, नंदू नागरकर, दीपक जैसवाल ,राहुल देवतळे ,परब गिरडकर आदि मान्यवर व कार्यकर्ता उपस्थित थे।