घुग्घुस लाइट मेटल की जनसुनवाई में उठा विवाद: विकास या विनाश?

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घुग्घुस लाइट मेटल की जनसुनवाई में उठा विवाद: विकास या विनाश?

चंद्रपुर/महाराष्ट्र 

दि. 01 अक्टूबर 2024

रिपोर्ट: अनुप यादव मुख्य संवाददाता ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क 

चंद्रपुर : 1 अक्टूबर 2024 चंद्रपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में स्थित घुग्घुस नगर परिषद अंतर्गत लाइट मेटल कंपनी के विस्तार के लिए एक जनसुनवाई आयोजित की गई। यह कार्यक्रम स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया। जनसुनवाई में महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी तानाजी यादव और उपप्रादेशिक अधिकारी उमेश भादुले ने भाग लिया।


घुग्घुस की भौगोलिक स्थिति

  • घुग्घुस शहर की भौगोलिक स्थिति वर्धा और पैन गंगा नदियों के आसपास बसी हुई है। यहां की लगभग 50% भूमि कोयला खदानों और अन्य उद्योगों द्वारा उपयोग में लाई जा रही है। इस क्षेत्र में वेकोली की कोयला खदानें, एसीसी और लॉयडस मेटल जैसी बड़ी कंपनिया हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं। हालांकि, घुग्घुस में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद, यहां के नागरिक रोजगार के मामले में पीछे होते जा रहे हैं। स्थानीय युवा एकमात्र रोजगार का साधन यहां स्थित कंपनियों पर निर्भर हैं। इन कंपनियों में ट्रांसपोर्ट, सिविल वर्क और लेबर ठेके जैसी गतिविधियों के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं, लेकिन स्थानीय युवाओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। 

जनसुनवाई का आयोजन

  • जनसुनवाई का आयोजन 30 सितंबर को किया गया। यह कार्यक्रम लाइट मेटल कंपनी के विस्तार पर केंद्रित था। कंपनी प्रबंधन ने जनसुनवाई के लिए एक विशाल तंबू का निर्माण किया था। यहां नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।स्थानीय नागरिकों ने कंपनी पर आरोप लगाया कि यह केवल सत्ताधारी पार्टी को ही लाभ पहुंचा रही है। बेरोजगार युवा सड़कों पर भटक रहे हैं, जबकि विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है। इस समय एक नागरिक ने कहा, “हमारे शहर का विकास रुक गया है। कंपनी के दोगले रवैये के कारण युवाओं का भविष्य अंधकार में है।”

प्रदूषण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • लाइट मेटल कंपनी के विस्तार का विरोध कर रहे निवासियों का कहना है कि कंपनी का कार्य स्थानीय वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण के कारण न केवल मानव स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि वन्य प्राणियों और अन्य जीवों का जीवन भी संकट में है। एक स्थानीय किसान ने कहा, “हमारी फसलें धूल के कारण प्रभावित हो रही हैं। यदि कंपनी का विस्तार हुआ, तो हमारी जीविका को खतरा होगा।”

आरोप और प्रतिरोध

  • इस जनसुनवाई में यह भी देखा गया कि स्थानीय नागरिकों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों पर भी सवाल उठाए हैं। इस समय अधिकारियों पर आरोप था कि वे कंपनी के पक्ष में हैं और इसके विस्तार को बढ़ावा दे रहे हैं। कुछ लोगों ने प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को ‘दलाल’ करार दिया है? ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क ने इस जनसुनवाई को कवर किया, जिसमें यह भी देखा गया कि सत्ताधारी पार्टी के एक पदाधिकारी गरीब और अनपढ़ लोगों को बरगलाते हुए नजर आए। सूत्रों के अनुसार, उस राजनीतिक पार्टी के कार्यालय में उन लोगों को जनसुनवाई के लिए क्या बोलना है इसकी ट्रेनिंग’ दी जा रही थी.? ताकि वे कंपनी के पक्ष में बयान दे सकें.?

 

किसानों का विरोध

  • इस जनसुनवाई में किसानों ने भी अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने बताया कि कंपनी से निकलने वाली धूल और प्रदूषण के कारण उनकी फसलें खराब हो रही हैं। किसानों ने स्पष्ट किया कि कंपनी का विस्तार उनके जीवन के लिए खतरा बन सकता है। एक किसान ने कहा, “हम अपनी खेती के जरिए जीविका कमाते हैं, और कंपनी का विस्तार हमारी जिंदगी को प्रभावित करेगा।

 

निष्कर्ष

  • जनसुनवाई के दौरान 95% लोगों ने कंपनी के विस्तार का विरोध किया। अधिकारियों को लेकर उपस्थित जनसमूह में भारी असंतोष था, और कई लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ‘बिना दांतों का बाघकहा, यहां अभी अगले कदम के बारे में अभी स्पष्ट नहीं है। जनसुनवाई में उपस्थित लोगों की चिंता और नाराजगी को देखते हुए यह स्पष्ट है कि घुग्घुस में विकास की राह में कई चुनौतियां हैं। नागरिकों की आवाज को सुनना और उनकी चिंताओं को गंभीरता से लेना आवश्यक है, ताकि विकास के साथ-साथ स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य और उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।घुग्घुस की यह स्थिति एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और उद्योगों का विकास स्थानीय समुदायों के लिए दोनों ही समय में चुनौती और अवसर प्रदान कर सकते हैं। अब देखना होगा कि क्या प्रशासन और कंपनी की ओर से इस गंभीर मुद्दे का समाधान निकाला जाता है या फिर यह पुरी जनसुनवाई सुनियोजित थी?