भविष्य निधि घोटाला: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के चार कर्मचारी बर्खास्त, सीओ विवेक जॉनसन की भूमिका पर सवाल

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भविष्य निधि घोटाला: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के चार कर्मचारी बर्खास्त, सीओ विवेक जॉनसन की भूमिका पर सवाल

 

**चंद्रपुर**, 10 सितम्बर 2024: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत कार्यरत कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) की राशि के गबन के मामले में चार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। यह घोटाला तब उजागर हुआ जब कुछ कर्मचारियों ने पीएफ की राशि निकालने के लिए अपने खातों की जांच की और पाया कि बड़ी मात्रा में धन गबन हो चुका है। इस घटनाक्रम ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीओ) विवेक जॉनसन की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्होंने इस मामले में कार्रवाई में विलंब किया है।

घोटाले का खुलासा

जांच में पता चला है कि राकेश नाकाडे, एकाउंटेंट नामदेव येनुरकर, प्रवीण सतभाई और कार्यक्रम सहायक प्रकाश मोहुरले ने मिलकर पीएफ से लाखों रुपये अपने व्यक्तिगत खातों में ट्रांसफर किए। यह मामला 2021-22 के दौरान घटित हुआ और जांच के दौरान यह बात सामने आई कि इन कर्मचारियों ने इस राशि का दुरुपयोग किया है। इस घोटाले ने जिले के सैकड़ों संविदा कर्मचारियों को प्रभावित किया है और उनके भविष्य निधि के खाते खाली हो गए हैं।

सभी मामलों में देरी की वजह

मामले के उजागर होने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डॉ. अशोक कटारे ने इन चार कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया। हालांकि, इस दौरान एक बड़ा सवाल यह उठता है कि इतने बड़े घोटाले को वरिष्ठ अधिकारियों ने क्यों नजरअंदाज किया। सूत्रों के अनुसार, आरोपी कर्मचारियों ने एनआरएचएम के तहत काम करने वाली कुछ नर्सों को स्थायी नौकरी देने के वादे पर दो से चार लाख रुपये लिए थे। यह बात भी सामने आई है कि राकेश नाकाडे, डीएचओ अशोक कटारे का पति होने के कारण इस मामले में अभी तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है।

सीओ विवेक जॉनसन की भूमिका पर सवाल

सीओ विवेक जॉनसन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जब यह घोटाला उजागर हुआ, तो जॉनसन ने इस पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की, यह एक बड़ा प्रश्न है। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि घोटाले की राशि कुछ समय बाद कर्मचारियों से वापस भी ली गई, जिससे मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा। हालांकि, बर्खास्त किए गए चारों कर्मचारी संविदात्मक थे, लेकिन इस मुद्दे ने वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में न आने की स्थिति को उजागर किया है।

घोटाले की गंभीरता और भविष्य की कार्रवाई

घोटाले के विवरण के आधार पर, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर अभियुक्तों के खिलाफ पूरी तरह से कार्रवाई की जाती है, तो घोटाले के और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। वर्तमान में, आरोपियों के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है और मामले की जांच जारी है। इस पूरी घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

निष्कर्ष

भविष्य निधि के इस गबन मामले ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यों और प्रशासनिक ढांचे पर सवाल खड़े किए हैं। जिला परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों, विशेषकर सीओ विवेक जॉनसन की भूमिका पर प्रश्नचिह्न उठ रहा है और उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह के मामलों की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस घोटाले के प्रकट होने के बाद यह आवश्यक हो गया है कि जांच प्रक्रिया को सही दिशा में ले जाकर दोषियों को सजा दिलाई जाए और सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए एक ठोस व्यवस्था बनाई जाए।