शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार: जनता परेशान, अधिकारी बेपरवाह

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शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार: जनता परेशान, अधिकारी बेपरवाह
चंद्रपुर/महाराष्ट्र 
 
दि . २१ अगस्त २०२४
 
रिपोर्टर :- रमाकांत यादव जिल्हा प्रतिनिधि ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
 
 
पूरी खबर:- चंद्रपुर नगर पालिका के अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने शहरवासियों को गंभीर समस्या में डाल दिया है। हाल ही में, नगर पालिका ने सार्वजनिक शौचालयों को मरम्मत के नाम पर तोड़ दिया, लेकिन उनकी जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। नतीजतन, महिलाओं, बच्चों, व्यापारियों और कर्मचारियों सहित हर किसी को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
तिलक मैदान और आजाद गार्डन जैसे प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय निर्माण कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है। इनकी मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य काफी समय से चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। शहर की जनता को बिना किसी सुविधा के छोड़ दिया गया है, जो नगर पालिका की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाता है। जनता की मांग है कि जब तक इन शौचालयों का निर्माण पूरा नहीं होता, नगर पालिका भवन के शौचालय भी बंद कर दिए जाएं, ताकि अधिकारी भी उसी असुविधा का सामना करें, जिससे जनता गुजर रही है।
आश्चर्य की बात यह है कि नगर पालिका के भ्रष्ट अधिकारियों को शौचालय निर्माण में कमीशन खाना अच्छी तरह याद रहता है, लेकिन जनता की तकलीफें उनके लिए कोई मायने नहीं रखतीं। ऐसा लगता है कि उनकी प्राथमिकता सिर्फ अपने निजी लाभ तक सीमित है, न कि जनता की भलाई तक।
यहाँ तक कि आयुक्त साहब ने खुद दो दिन तक हालात का जायजा लिया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। अगर वास्तव में आयुक्त साहब को जनता की तकलीफों का एहसास है, तो उन्हें सुझाव दिया गया है कि वे अपना निजी शौचालय ही जनता के लिए खोल दें, ताकि अधिकारियों को भी असल स्थिति का अंदाजा हो सके।
अब शहर की जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है और वे नगर पालिका के भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। आखिर, कब तक जनता की सुविधाओं की बलि दी जाएगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाएगा? नगर पालिका को चाहिए कि वह जनता की आवाज को सुने और इस मुद्दे का समाधान करे।
शहर के हालात देखकर साफ हो जाता है कि अधिकारियों की प्राथमिकता जनता की सुविधा नहीं, बल्कि खुद का लाभ है। इस भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगाम कसने का समय आ गया है, ताकि जनता को उनकी मूलभूत सुविधाएं मिल सकें और उन्हें इस ‘शौचालय संकट’ से निजात मिल सके।