उन मतदाताओं के कब जोड़े जाएंगे नाम

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उन मतदाताओं के कब जोड़े जाएंगे नाम
 
जिनके लोकसभा चुनाव पूर्व हटाये गए थे मतदाता सुची से नाम
 
चंद्रपुर/महाराष्ट्र 
 
दि . २१ अगस्त २०२४
 
 
कामताकुमार सिंह, दुर्गापुर सवांददाता
 
 
पूरी खबर:-उर्जानगर दुर्गापुर तुकुम सहित पूरे चन्द्रपुर लोकसभा क्षेत्र में हजारों  मतदाताओं का नाम बिना कोई कारण के मतदाता सूची से हटा दिया गया था। किसके इशारे पर पर सभ्य नागरिकों का नाम मतदाता सूची से हटाया गया था, चार महीने बाद भी अबतक पता नहीं चला है। जबकि विधानसभा  चुनाव का आचार संहिता लगभग महीने भर में लगने  वाला है। क्या इस बार फिर से वे लोंग मतदान नही कर पाएंगे जिनके नाम मतदाता सूची से लोकसभा चुनाव के समय हटा दिया गया था?
                 मतदान से रहेंगे वंचित
   चुनाव आयोग  जितने ही सुधारात्मक कार्य करने में लगी है, उतना ही बार बार गलतियां भी करती जा रही है। अधिकतम मतदान हो इसके लिए विज्ञापन से लेकर अनेकों तरह के प्रयास कर रही है। उसपर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। बूथ पर रेड कार्पेट लगाने से लेकर पानी के व्यवस्था भी करती है तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग गलतियां पर गलतियां करती जा रही है। वर्षों से मृत मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर तो नहीं की जा रही है, परन्तु जो वर्षों से एक ही जगह पर मतदान करते आ रहे है, उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। पिछले लोकसभा चुनाव पूर्व जिन मतदाओं को बगैर कारण बताए मतदाता सूची से नाम हटा दिया गया, उनके नाम जोड़ने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहे हैं ? कहीं ऐसा न हो कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी वे लोंग मतदान से वंचित न रह जाये।
                एक  व्यक्ति का दो दो जगह नाम
 पिछली बार के मतदाता सूची में कुछ व्यक्तियों का नाम दो दो जगहों पर था। जबकि जो व्यक्ति अपने सगे संबंधियों के साथ वर्षो से मतदान करते आये हैं, उनका नाम नदारथ था। वे व्यक्ति भारत के लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाया था। पिछले लोकसभा चुनाव में जिन व्यक्तियों का नाम मतदाता सूची से हटाया था, उनलोंगों का मतदाता सूचि में जोड़ने के लिए विशेष अभियान प्रशासन को चलाना चाहिए । कारण कि मतदाता सूची से नाम गायब करने की जादूगरी चुनाव आयोग ने किया
था तो अब पुनः नाम डालने का काम भी उसी को स्वतः होकर  करना चाहिए।
           नाम काटने वाले पर केस दर्ज हो
 लोकसभा विधानसभा, जिलापरिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के चुनाव में दर्जनों बार मतदान करने वाले का पिछले लोकसभा के चुनाव के मतदान सूची से नाम गायब था। सम्मानित नागरिकों का मतदाता सूची से नाम गायब होना कोई सामान्य बात नहीं है। मतदाता सूची में पति का नाम नही है तो किसी की पत्नी का नाम गायब था। कहीं पर पति पत्नी दोनों का नाम नहीं था, जबकि उनके बच्चे का नाम सम्मिलित था। ऐसे कैसे गड़बड़ हुआ? किसने गड़बड़ किया? किसने सर्वे करवाया और किसके कहने पर नाम हटाया गया? मतदाता सूची से नाम हटाने वाले कौन कौनअधिकारी कर्मचारी थे, बीते चार महीने में उन दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई? उनके ऊपर पर केस दर्ज हुए या नही? अगर नहीं हुए तो क्यों नहीं? इतनी बड़ी लापरवाही का नतीजा नहीं हो सकता है। कहीं न कहीं कुछ विशेष  कारण रहा होगा।
              मतदान सूची से नाम कैसे हटा ?
  हजारों जीवित और स्वस्थ्य मतदाताओं का नाम  मतदान सूची से कैसे कटा? किसकी गलती से किसके कहने पर नाम हटाया गया? जो जागरूक मतदाता मतदान नहीं कर पाया, उसके लिए कौन जिम्मेवार है?  एक तरफ मतदान बढ़ाने के लिए लाखों रुपए के प्रोत्साहन पुरस्कार बांटे गये जबकि मतदाता सूची से बगैर कारण के नाम हटा दिए गए उसकी जांच अभी तक नहीं कराई गई।  उन मतदाताओं के ऊपर क्या बिता होगा जब अलग अलग मतदान केंद्र पर जा जाकर और मतदान सूची में नाम ढूढ ढूढ़कर चिलचिलाती धूप और गर्मी पसीना बहाया होगा। रिश्तेदारों, परिवारों, दोस्तों और सहेलियों के साथ मतदान केंद्र पर गये और उसमें कुछ के नाम नहीं मिलने से मतदान नहीं कर पाए। तब कितना आत्मग्लानि महसूस हुआ होगा सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।