घुग्घुस ओल्ड (OLD) साइडिंग से रेलवे रेंक में भरा जा रहा बड़ा कोयला.?
बड़े कोयले से बिजली कंपनियों के बैलर होंगे जाम?
चंद्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 03 फरवरी 2023
रिपोर्ट : अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
पुरी खबर : – चंद्रपुर जिले की वेकोली वणी क्षेत्र की कोयला खानों से सीधे कोयला को क्रेश कर पावर प्लांट में कोयला भेजा जाना चाहिए पर यहां उल्टा वेकोली के अधिकारीयों की लापरवाही से कोयले को बैगर प्क्रैश करें सीधे पावर प्लांट को बड़ा कोयला भेजा जा रहा है. यह बड़ी लापरवाही घुग्घुस सब एरिया की देख रेखा से कैसे दुर हो सकती है?
क्या वेकोली के क्रेशर बंद है?
क्या साइडिंग इन्चार्ज को जानकारी है? या फिर मिली भगत से यह कार्य हो रहा है?
या कोयला मे अन्य मिट्टी मिश्रित कोयले को पावर प्लांट में भेजने की साज़िश है?
बता दें समय समय पर बिजली निर्मित करने वाले पावर प्लांट के बड़े बड़े बायलर जाम होते रहे हैं. जिसका प्रमुख कारण बताया गया है, कोयला खानों से सीधे पहुंचने वाला कायला है. इसी का समाधान निकालने के लिए पावर प्लांटों ने वाशरीज को यह ठेका दिया है. पर कुछ कोयला खानों में पहले से ही क्रेशर लगा रखे हैं. जिन्हें उसी तरह कोयले को छोटा कर पावर प्लांट को भेजते रहे है. पर यहां घुग्घुस की ओल्ड (OLD) साइडिंग से कोयले को सिधे रेंक में भरकर (load) कर पावर प्लांट में भेजने का कार्य किया जा रहा है. जिसमें यहां के सब एरिया की लापरवाही कहा जा सकता है?
यदि इनके द्वारा किए गए करनामो से बिजली कंपनियों के बैलर जाम होते हैं इसका जिम्मेदार कौन होगा?
जानकारी के अनुसार यदि एक बार बिजली निर्मित कंपनी के बैलर जाम होते हैं तो उन्हें साफ करने के लिए करोड़ों के टेन्डर निकालकर साफ किया जाता है. और इस काम में महिनो का समय भी लगता है. जिससे लोड शेडिंग की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. मिट्टी मिश्रित या खराब कोयले से प्रदुषण भी बड़ी मात्रा में उत्पन्न होता है, जिससे मानव जीवन में इसका दुष्परिणाम भी होता रहा है.
हजारों करोड़ों के पानी में मिलाने वाले इन लापरवाह अधिकारियों पर उच्च अधिकारियों ने कार्यवाही करनी चाहिए.