जिला अधिकारी के स्पष्ट आदेश को अनसुना.!
पुनः रेत स्टाक की अनुमति जिला खनिकर्म आधिकारी सुरेश नेताम.?
चंद्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 18 डिसेंबर 2023
रिपोर्ट : अनुप कुमार यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
पुरी खबर :- चंद्रपुर: रेत ठेके की मुद्दत खत्म होने के पहले जिन घाटो पर उत्खनन हुआ है. वहा के रेत भंडार को मुद्दत समाप्त होने पर दस दिन के अंदर उत्खनन वाली जगह से रेत का बचा हुआ भंडारा हटाया नहीं जाता है तो वह रेत का भंडार सरकार का हो जायेगा. और उसपर ठेकेदार को कोई अधिकार नहीं होगा. ऐसा स्पष्ट आदेश अप्पर जिलाधिकारी ने 28, सितंबर को जारी किया था. परन्तु जिला खनिकर्म आधिकारी सुरेश नैताम का झुकाव रेत घारको की ओर दिखाई पडता है? आज फिर रेत भंडारण का आदेश जारी होने से जिले मे चर्चा का माहौल गर्म है.? आज हर चौक चौराहों पर खनिकर्म अधिकारी की चर्चा जोरों पर है.? जनता समझने की कोशिश कर रही है की जिलाधिकारी ने 10 अक्टूबर तक रेत भंडारण ख़त्म कर दिया जाए. ऐसे स्पष्ट आदेश के बाद भी खनिकर्म अधिकारी नैताम ने पुनः बचे रेत (stock) भंडारण को उठाने के आदेश जारी किए.
ऐसी क्या मजबूरी थी की खनिकर्म अधिकारी नैताम को रेत धारको की ओर झुकते हुए उनके हित में आदेश जारी करना पड़ा है? हमारी टीम द्वारा रेत धारको के भंडारण के स्थान पर पहुंचने पर देखा की लगभग सभी रेत चालको ने अपना अपना भंडारण ख़त्म कर चैन की नींद लें रहे है. और अब खनिकर्म अधिकारी के आदेश किन रेत धारको के लिए है?
यदि यही रेत धारको रात में नदि से रेत निकालकर (stock) भंडारण कर लेते है और उसे फिर पुराणा रेत (stock) भंडारण दिखाकर अवैध रेत तस्करी शुरू होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. इसे क्या शासन विरोधी नियती माना जा सकता है.? मौका परस्त रेत तस्वीरो को मौका दे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा दिखाई पड़ता है.!
खनिकर्म अधिकारी की जिम्मेदारी शासन के प्रति उदासीनता नैताम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है. जहां रेती भंडार बचा है ऐसे 24 रेती घाटों को अपनी मर्जी से 31 दिसंबर तक अनुमति दे दी. इससे खनीकर्म विभाग चर्चा में आया है. नैताम की मनमानी में लाखों का अर्थकारण जुड़ा होने की चर्चाओ का बाजार गर्म है.
वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिला खनीकर्म विभाग ने 38 बालू घाटों की नीलामी की. रेतीघाट की खुदाई की समय सीमा 10 जून 2023 थी. बालू स्टॉक उठाने की समय सीमा 30 सितंबर तक दी गयी थी. नीलाम किए गए रेत के टीलों से अनियंत्रित खुदाई की गई. लाखों ब्रास रेत चोरी हो गई. खदान स्थल पर आवश्यक स्टॉक रखने के बाद अतिरिक्त रेत को खुले बाजार में बेच दिया गया था. आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि शेष स्टॉक को रेतीघाट ठेकेदार द्वारा गैर-कृषि लाइसेंस के साथ आवश्यक भूमि पर ले जाया जाना चाहिए और इसकी जिम्मेदारी नीलामीकर्ताओं की होगी. 28 सितंबर को अपर जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश में बालू पट्टा की समाप्ति से पूर्व जिन घाटों पर उत्खनन कार्य कराया गया है. उन्हें अवधि समाप्त होने के 10 दिनों के भीतर खनन स्थल से बालू स्टॉक हटा लेने के स्पष्ट निर्देश थे. अन्यथा बालू स्टॉक सरकार की संपत्ति बन जायेगा, ऐसा कहा गया था. साथ ही यह भी साफ कहा गया कि सरकार के खिलाफ कोई दावा नहीं किया जा सकता. इस आदेश के बाद इन सभी ने रेतीघाट में कोई भी शेष स्टॉक नहीं रखा है, अब जिला खनन अधिकारी सुरेश नैताम ने रेतीघाट मालिकों के अनुरोध पर शेष स्टॉक उठाने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है. 13 दिसंबर को जिला खनन अधिकारी सुरेश नैताम ने आदेश जारी किया है कि 15 दिनों के अंदर बालू स्टॉक का उठाव हो जाना चाहिए. लिहाजा, जिला खनन विभाग अब विवादों में आ गया है.
प्रशासनिक हलकों में चर्चा चल रही है कि जिला खनन अधिकारी सुरेश नैताम की भूमिका सवालों के घेरे में है? संबंधित ठेकेडारों ने खनन विभाग से अर्थपूर्ण साठगंठ कर के यह अनुमती ली है? ऐसी चर्चा का माहौल गर्म है.
जनसुनवाई के पहले दिए आदेश
बताया जाता है कि 65 रेतघाटो की नए सिरे से नीलामी की जा सके इसलिए जनसुनवाई के बाद पर्यावरण मंजूरी के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग को एक प्रस्ताव भेजा गया है. जनवरी माह में जनसुनवाई होनी है, जिसके पूर्व ही खनन विभाग ने बचे हुए स्टॉक के उठाव के नाम पर बालू ढोनेवालों को बालू ले जानें की अनुमति दे दी है.
अनुमति मिलते ही सक्रीय हुए तस्कर
जानकारो का कहना है कि इस आदेश के जारी होते ही रेत ट्रांसपोर्टरों ने भी स्टॉक उठाने के नाम पर उत्खनन शुरू कर दिया है. हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से बालू खनन पर कोई रोक नहीं है. चूंकि कई राजनीतिक नेता और उनके समर्थक इस व्यवसाय में शामिल हैं, इसलिए अधिकारी कार्रवाई करने से बच कर सेट होने में ही भलाई मानते है.