अरेरेरे… यह कोयला टाल किसका.?

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अरेरेरे… यह कोयला टाल किसका.?

पड़ोली में बैगर परमीशन के डेपो कब होगे बंद? शित निद्रा में गया प्रदुषण नियंत्रण महामंडल कब जागेंगा.

चंद्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 05 डिसेंबर 2023
रिपोर्ट :- अनुप यादव ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क

पुरी खबर :- चंद्रपुर जिले के पडोली में अवैध कोयला डेपो ने धुम मचा रखी है. वर्षों पूर्व ही प्रदुषण की समस्या के वजह से जिला अधिकारी ने यहां पर स्थित 98% कोयला डेपो को पुरी तरह बंद करने का आदेश जारी किया था. यहां पर स्थित लगभग सभी कोयला डेपो धारको ने कोल डेपो बंद कर, उन्हें नागड़ा स्थानांतरित किया और अपना कोयले का वैध, अवैध कारोबार चला रहे हैं. पर हाल ही मे देखा गया की इराई नदी को क्रास करने के बाद कुछ कोल डेपो धारक कोल सप्लाई का कारोबार बिन दास्त चला रहे है. यहा नेशनल हाईवे पर बड़े अधिकारियों का आना जाना होने के बाद भी, इन शासन के “अघोषित अधिकारी” की सुध लेने वाला कोई नही है.

शासन के घोषित राजपत्र के रक्षक हि इन पर दया द्रष्टि बनाए हुए है. अब यह दया द्रष्टि लक्ष्मी के दर्शन करवाकर बनाए हूंए संम्बंधो के कारण है.?  यह समझ के परे है, पर अवैध कोल डेपो में जमा कोयला कहा से आया है.? आज जिले की इक्का दुक्का हि कोयला खान हि चालु है और इन डेपो में हजारों टन जमा कोयला कहा से आया है? यह हमारे जांच की पहुंच से दूर है, पर हो सकता है शासन मन बनाए तो इन अवैध कोयला का “भंन्डा फोड़” हो सकता है. पर कब.? हमारा अनुभव कहता है कभी नहीं.!

जानकारो की मानें तो कोयला बना हि लुट के लिए है? कितने घोटाले और कितनी बार हुए है हमने देखा और सुना है. अभी कुछ वर्ष पुर्व नागाडा में पकड़े गए 26 ट्रक महिनों तक जप्त रहे और आखिरकार उनमे भरा कोयला, कोयला खान में वापसी खाली करना पड़ा. जिसमें चंद्रपुर के नामी कोयला व्यापारी “कैलास अग्रवाल” पर मामला दर्ज था. जांच हुई पर क्या हुआ आखिरकार वहीं ”पान के ढाई पात” सब ठीक हो गया सिलसिला पुनः शुरू हुआ पर अब दिशा और दशा बदल गई. तस्कर बदल गए, अब घोटाला खुद नही करा जा रहा है, करवाया जाता है. चोरी का कोयला खरीदने वाले गिरोह बन गए है. तु तेरा कर मैं मेरा कर रहा हूं. राजनीति हस्तछेप से तस्करी को बल दिया जा रहा है. गुन्डे मवालीओ को रोजगार मिल गया है. कभी तलवार की नोक पर तो कभी बंदुक की नोक पर तस्करी की जा रही है. खुलेआम कोयला तस्करी जारी है. इन तस्करों के बड़े बोल सबको दे रहे है हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ा सकता तस्करों की स्टाइल “सीधे माने तो ठीक वरना मनाना आता है हमे” ऐसी ताकत और धाक किसके बल पर प्रसानीक अमला क्या कर रहा है.? आपको क्या लगता है? क्या जांच एजेंसियां  शित निद्रा में चली गई है?

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की अगली फिल्में, अब तो चंद्रपुर जिले मे बननी चाहिए! ऐसा हम क्यों कह रहे है? कारण है पड़ोली में वर्षों पूर्व बंद हुए टाल पुनः शुरू हो गए है. जिसमें प्रमुख रूप से पडोली थाने से कुछ ही दुरी पर और वही युनुस का टाल जो टोयोटा शोरुम के पिछे है. वहा शासन के आदेश को धता दिखा कोयले का कारोबार जारी रखें हुए है. यहां पर मौजूद कोयला कितना वैध कितना अवैध जांच करने आए अधिकारीयो को तुरंत लिगल कागजात उपलब्ध कराए जाते है. पर वहां कोयले की तरह दिख रही राख का क्या काम क्या हरे पर्दों के पिछे मिलावट खोरी चल रही है?

क्या पडोली के कोल डेपो को महाराष्ट्र राज्य प्रदुषण महामंडल की एन ओ सी (NOC) है? या फिर लक्ष्मी का माया जाल?

क्या पडोली के कोल डेपो को पडोली ग्राम पंचायत ने एन ओ सी (NOC) दि है या फिर टेबल के निचे का कमाल.?

यह कब तक चलेगा अधिकारी शित निद्रा से कब जागेंगे पर जागेंगे जरूर यही आशा के साथ हमारी जनता हमारे लोकतंत्र पर भरोसा रखें हुए है.

 

अगले भाग मे पडोली नागड़ा में स्थित अवैध कोयला धारको के नाम के साथ खुलासा