नपेंगी अवैध मुरुम खनन की भुमि, क्या जीपीएस (GPS) सिस्टम के डाटा से होगा खुलासा..?
भद्रावती नायब तहसीलदार की नियत और नितिन पर निर्भर.?
खनिकर्म विभाग भी सवालों के घेरे में?
चंद्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 24 नवंबर 2023
रिपोर्ट :- अनुप यादव ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
पुरी खबर :- आज चंद्रपुर जिले की चर्चा पुरे महाराष्ट्र में है, जिसमें चर्चा का विषय अवैध खनन है. चंद्रपुर जिले में गौन खनिज की भरमार है. सुरजागड का कच्चा लौह राज्य सरकार के लिए साख का विषय है और राज्य सरकार द्वारा पुरा संरक्षण और सुरक्षा भी दी जा रही है. पर चंद्रपुर के अन्य गौन खनिज की ओर से शासन के रक्षकों ने आंखें फेरी हुई है. जिसको जब मौका मिल रहा है, वह लुट रहा है.! आज तेरी बारी तो, कल मेरी बारी चंद्रपुर जिले मे हुए अवैध मुरुम खनन के मामले का खुलासा होने के बाद इसमें लिप्त खनन तस्करों में वज्रपात हो गया है. पर प्रसानीक कछुआ रफ्तार के कारण तस्करों को पुरा भरोसा है की, उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकाता है. उनका निश्चिंत होना ठीक भी है?. क्योंकि पुरा अमला खुद को बचाने के लिए तस्करों को छोड़ने के लिए आमादा है? क्योंकि आज उनकी बारी तो इस पुरी साठ गांठ में लिप्त कुछ अधिकारी तथा कर्मचारि भी इस पुरे मामले मे नपने वाले है. क्योंकि मामला ही अधिकारियों की सांठगांठ से हुआ होगा.!
? यह सवाल हमारी बुद्ध जीवी जनता के मन में घर कर गया है.
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जिले में एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे है. जो आज के काल में आश्चर्यजनक है. श्याम थेरे के वाहन MH-34-AB-8555 के पकड़े जाने के बाद ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क के अनुप यादव, चांदा नगरी के संपादक मनोज पोतराजे, चंद्रपुर क्रांति के संपादक घटना स्थल पर पहुंचकर पुरे परिसर का मुआयना किया और जानकारी इकट्ठा करते हुए अंदाजा लगाया कि यहां मोकासा तिरवंजा और चक तिरवंजा के पुरे परिसर से हजारों ब्रास मुरुम का उत्खनन हुआ है. अपने सामाजिक दायित्व को समझते हुए उसी दिन ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज चैनल के युटुब चैनल में खबर प्रकाशित की गई.
बता दें तिरवंजा मोकासा व चक तिरवंजा मे कई लोगो ने मुरुम उत्खनन किया है। जिसमे हमारे द्वारा जानकारी निकालने पर जिला खनिकर्म विभाग में सिर्फ 3 हजार 500 सौ के लगभग वाहनों में जीपीएस (GPS) सिस्टम लगाया गया है.
पर यह जीपीएस सिस्टम काम कर रहा है? और यदि काम कर भी रहा है तो जीपीएस सिस्टम की जांच होती है, तो पुरे अवैध उत्खनन का खुलासा हो सकता है. पर यह भी प्रसासकीय अमले पर निर्भर है? क्या कोई अधिकारी या कर्मचारी खुद की जांच पुरी कर्तव्य निष्ठा से कर सकता है? क्योंकि यहां तो जांच अपराधी भी मैं हूं और जांच का रुपरेखा भी मेरे उपर निर्भर है.? तो फिर जांच कैसे हो?
अब यह जांच राम भरोसे.?
हमारे द्वारा इकट्ठा किए गए वाहनों में निचे दिए गए श्याम थेरे के वाहनों और भ्रद्रावति तहसील में जमा की गई रायल्टी की जांच होती है तो पुरे मामले का दुध का दुध पानी का पानी हो सकता है.
क्या इस पुरे मामले की जांच उच्च स्तरीय होनी चाहिए.
यह तो मां.पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के द्वारा दिए गए जांच के आदेशों के बाद सामने आने वाला है.
जीपीएस सिस्टम लगे श्याम थेरे के वाहन..
MH34BZ4155, MH34BZ6855, MH34BZ5055, MH34BZ6755, MH34BZ4055, MH34BZ3155, MH34BH4055, MH34BG8902, MH34BG6860, MH34BG6150, MH34M3664, MH40BL9334, MH34BG6755, MH34L1710, MH34BG0555, MH34BG3155, MH34BG2255, MH33-4401, MH34AB8555 MH34AB4955, MH34AB4955, MH34AV2255, MH34AB6755, MH34AB6755, MH34AV2255, MH34AN6755, MH34AB7655