वेकोली मे लोकल ट्रांसपोर्ट यूनियन क्या है?
क्या दबंगई से चलती है कोयला खान की लोकल ट्रांसपोर्ट युनियन.?
लोकल ट्रांसपोर्ट इन लोगों के लिए आधार, या स्वयं का “स्वार्थ”.?
यूनियन का उद्देश्य लोकल ट्रांसपोर्ट लोगों को रोजगार दिलाना…
चंन्द्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 15 दिसंबर 2021
पुरी खबर:- चंद्रपुर जिले में लोकल ट्रांसपोर्ट यूनियन सर्वप्रथम पद्मापुर OC खदान में 2007, 2008 स्थापित की गई। जिस समय वहां के अध्यक्ष रहे लोगों ने शाह कॉल कंपनी जो कि एक तरफा ट्रांसपोर्ट चला दी थी। जिससे लोकल वाहन चालकों और मालको को वाहन की किस्त चालक का पगार देने मे दिक्कतें समय पर भाडा नहीं मिलना ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए, उसे रोक कर लोकल चालक मालको को रोजगार देने हेतु लोकल चालक मालक ट्रांसपोर्ट यूनियन तैयार की गई। इस यूनियन को देखकर जिले की अन्य खदानों में जैसे की सास्ती खदान मे यूनियन तैयार की गई। इसमें अधिकतम लोकल वाहन चालक मालको का अहम योगदान रहा है। जिसमें पद्मापुर और सास्ती खदान की यूनियन लोकल ट्रांसपोर्टरों के लिए बहुत अच्छा काम किया और ट्रांसपोर्टरो के आर्थिक जीवन उद्धार के लिए अहम भूमिका निभाई है जिसमें कई लोकल ट्रांसपोर्ट जो चालक रहते हुए मालक बन सके।
इन युनियन ने खान मे अपनी सुविधाओं के हिसाब से सिस्टम लागू किया और वाहन चालकों मालिकों को समाधान कारक रेट तय कर नंबर से सभी वाहन चालक मालको को काम मिले और वाद विवाद की स्थिति का समाधान है समय पर वाहनों का भाडा दिलाना इसके लिए समय समय पर हर संभव प्रयास करते आ रहे है।
युनियन का खर्चा कैसे चलता है..
- हर छोटे बडे कामो को करने के लिए पैसो की आवश्यकता होती है। पैसों की जरूरत पुरी करने के लिए वाहन चालक मालको ने आपसी सहमति से वाहन मालको से मासिक फिस उसुलने का निर्णय लिया। जिसमे 10 च़क्का वाहन से 300 रु, 12 च़क्का वाहन 400 रु, 14, 18 च़क्का वाहन 600 रु के हिसाब से सहयोग राशि ली जाती है। इस सहयोग राशि का इस्तेमाल गरीब पिडितो कि आर्थिक मदद के लिए भी उपलब्ध कराई जाती है कीसी भी वाहन चालकों आर्थिक संकट पर उनकी मदद करना भी इस युनियन का मुख्य उद्देश्य होता है।
कोयला खानो की लोकल ट्रांसपोर्ट युनियन पर कई बार उगलियाँ भी उठ चुकी है…
- वाहन चालक मालक और युनियन के पद अधिकारियों के साथ विवाद भी होते रहे है और कुछ विषयों मे युनियन के पद अधिकारियों की दोहरी निति के कारण विवाद थाना चौकी तक भी पहुंचा है। विवाद का प्रमुख कारण युनियन के पद अधिकारियों का अपनी स्वयं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने से कुछ वाहन चालक मालको से विवाद जैसी घटनाएं भी सामने आती रही है। कुछ अध्यक्षो ने अपनी स्वयं की गाडियां चलाने के लिए सिगल वाहन चालक मालको का शोषण भी किया और एक तरफा राज चलाकर अपार संपँति के मालिक भी बने है।
कोल माफियाओं ने अपना स्वार्थ साधने के लिए सडयंत्र रच विवाद भी उत्पन्न करते आए है। कभी वरचश्व की लडाई तो कभी माफिया राज कायम करने की नाकाम कोशिश होती रही है।
कुछ विवाद आपसी भी हुए है. जिसमे वाहन चालकों से वसुली गई सहयोग राशि को स्वयं के इस्तेमाल करने और जबरन सहयोग राशि वसुलने से असहयो की भावनाएं भी उत्पन्न होती रही है। कोल व्यापारियों से कमिशन पर कोयला ट्रांसपोर्टिंग का काम युनियन की धौस दिखाकर लिया जाता रहा है।